मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

देश को रंग-बिरंगे झंडों की नहीं तिरंगे की जरूरत

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के हालिया बयान ने उनकी राष्ट्रीयता की भावना पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सिर्फ उन्हीं लोगों को नौकरी मिलनी चाहिए, जिनका जन्म राज्य में हुआ हो। उत्तर भारतीयों को मराठी सीखने की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र में आने के लिए लोग यूपी-बिहार में ही मराठी भाषा का स्कूल खोल लेंगे’। सही मायने में बिहार और यूपी के लोगों को मराठी सीखने की जरूरत नहीं बल्कि राज ठाकरे को ही नहीं शिवसेना प्रमुख सहित पूरे ठाकरे परिवार को राष्ट्रीयता की पाठशाला में पढ़ने की जरूरत है। ठाकरे परिवार को शुक्रगुजार होना चाहिए कि देशवासियों ने अपनी योग्याता से खास कर मुंबई को समृद्ध किया।अपने देश की अखंडता से प्यार करने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे वो महाराष्ट्र का हो या कश्मीर का या यूपी-बिहार का, ऐसे नेताओं को बरदाश्त नहीं कर सकता है। ये देशवासियों की भलमनसाहत है कि अब तक फिरंगियों की तरफ फूट डालकर राजनीति करने वालों के खिलाफ एकजुट होकर जबाव नहीं दिया। लेकिन अब पानी सर से ऊपर बहने लगा है। मुंबईकर को भी अपनी राष्ट्रीयता जगानी होगी और राज ठाकरे और शिवसेना प्रमुख को भी अपनी हद पहचाननी होगी। शिवसेना और एमएनएम प्रमुखों का तकरीबन हर बयान आतंकी हमले से कम घातक नहीं होता। उनकी जबान देश और दिल को तोड़ती है। उनकी विकृत और आपराधिक सोच से निकली शर्तों की फेहरिस्त हद से ज्यादा लंबी होती जा रही है। देश को खंडित करने वाले ऐसे क्षेत्रीय नेताओं की आज जरूरत नहीं,जो राष्ट्रीयता नहीं बल्कि देश की युवा पीढी को विखंडन की राह दिखाने में अपना हित साध रहे हों। मराठी मानुष के हित की बात बनाकर उन्हें तो सत्ता की बिसात पर मूर्ख बना ही रहे हैं,उनके ऐसे हर बयान से बिहार और यूपी के लोगों के प्रति खाई खोदने का काम भी हो रहा है।इन प्रांतों के लोगों का ये धैर्य है कि उन जैसे नेताओं को जड़ से उखाड़ने के लिए अब तक कोई सुनियोजित और बदले की भावना से भरा कोई कदम नहीं उठाया। देश को जरूरत है, स्वस्थ और सुलझी राजनीति की। ऐसे अवसरवादी क्षेत्रीय नेताओं की नहीं,जो कठिन समय में चूहे की तरह बिल में घुस जाते हैं। बात-बात पर यूपी-बिहार करने वाले शिवसेना और एमएनएस के नेता और कार्यकर्ता 26/11 के आतंकी हमले के दौरान कहां गायब थे।क्यों नहीं तब एमएनएस या शिवसैनिक सीने पर गोली खाने और आतंकियों का मुकाबला करने आगे आये। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने सोमवार को बिहार में कहा वो सोलह आने ठीक है। राज ठाकरे बिहार-यूपी के लोगों को निकालने की बात करते हैं,लेकिन जब मुंबई में हमला हुआ, तो जिन एनएसजी के कमांडो ने आतंकियों को मार गिराया, उनमें बिहार, यूपी और देश के दूसरे प्रांत के लोग भी थे। तब उन्हें गैर-मराठी कहकर नहीं रोका गया था। देश और देशवासियों को प्रांतीय नहीं राष्ट्रीय नेताओं और लाल, पीले, हरे, नील रंग-बिरंगे झंड़ों की नहीं तिरंगे की जरूरत है।