शनिवार, 4 नवंबर 2023

10 नवंबर को 'आयुर्वेद दिवस'

5 नवंबर 2023 को देशभर के 11 शहरों नई दिल्ली, लखनऊ, नागपुर, चेन्नई, जयपुर, पटियाला, ग्वालियर, हैदराबाद, विजयवाड़ा, तिरुवनंतपुरम, अहमदाबादमें बाइकर्स रैलियां आयोजित की जाएंगी।  


केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक डॉ.भारती दिल्ली में डेढ़ सौ से अधिक युवा बाइकर्स की रैली को हरी झंडी दिखाएंगी।

आयुर्वेद दिवस का मुख्य आयोजन 9-10 नवंबर 2023 को हरियाणा के पंचकुला में होगा

प्रविष्टि तिथि: 04 NOV 2023 6:43PM by PIB Delhi

आयुर्वेद फॉर वन हेल्थसंदेश के साथ देश भर के 11 शहरों में राष्ट्रव्यापी बाइकर्स रैलियां आयोजित की जा रही हैं। ये रैलियां 5 नवंबर2023 को सुबह 6 बजे से 10 बजे तक विभिन्न शहरों में निर्धारित की गई हैं। इन रैलियों का मुख्य उद्देश्य देश भर के युवाओं को आयुर्वेद दिवस के वैश्विक संदेश ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थसे जोड़ना और आयुर्वेद की समृद्ध विरासत और सार्वजनिक कल्याण के लिए आयुर्वेद के समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (CARI) दिल्ली और पटियालाराष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (RARI) लखनऊनागपुरजयपुरविजयवाड़ातिरुवनंतपुरम और अहमदाबाद मेंडॉ. ए. लक्ष्मीपति राष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान और कैप्टन श्रीनिवास मूर्ति केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थानचेन्नई और एनआईएमएच (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल हेरिटेज) हैदराबाद के सहयोग से युवा बाइकर्स इन रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। ये बाइकर्स समूह हैं - अनस और शिवम के नेतृत्व में ट्विन नोमैड्स बाइकर क्लब - दिल्लीड्रैगन जेड क्लब के किरण पोलीपल्लीविशाखापत्तनम सेऔर ओसवाल्ड स्मिथ डीतमिलनाडु बाइकर्स एसोसिएशन के सदस्य टीएनबीएएम – चेन्नई से।

केंद्रीय आयुष और बंदरगाहजहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि युवाओं को ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ' अभियान से जोड़कर एक मजबूत और स्वस्थ भारत का भविष्य बनाया जा सकता है। आयुर्वेद दिवस के आयोजन का उद्देश्य भारत की हजारों साल पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले जाना और आयुर्वेद को दुनिया भर में आम लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बनाना है। विभिन्न शहरों में ये बाइकर्स रैलियां निश्चित रूप से युवाओं को आयुर्वेद और देश की अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी।

दिल्ली बाइकर्स ग्रुप के समन्वयक अनस और शिवमट्विन नोमाड्स बाइकर्स क्लब टीएनबीसीमोहम्मद अरशदपुरानी दिल्ली मोटरसाइकिलिस्ट - पीडीएमआशीष (वीकेंड राइडर्स क्लब - डब्ल्यूआरसीमोहम्मद समीर (कायी राइडर ग्रुप - केआरजी)केसी त्यागीमेराकी राइडर ग्रुप - एमआरजी हैं। रैली केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई)पंजाबी बाग से सुबह बजे शुरू होकर मोतीबाग से जकीरा होते हुए वापस सीएआरआई पहुंचेगी। देश में आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए 20 दिव्यांग बाइकर्स का एक समूह भी रैली में शामिल होगा।

आयुष मंत्रालय द्वारा 9-10 नवंबर 2023 को हरियाणा के पंचकुला में आयुर्वेद दिवस के मुख्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। आयोजन से पहले आयुष मंत्रालय की ओर से देशभर के युवाओं को यह संदेश देने के लिए ये रैलियां आयोजित की जा रही हैं कि बच्चोंकिशोरोंयुवाओं और आम जनता के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद जरूरी है। आठवें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में महीने भर चलने वाले इस समारोह में तीन प्रमुख घटक हैं- छात्रों के लिए आयुर्वेदकिसानों के लिए आयुर्वेद और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद।

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

घर



घर तो वही होता था ना,

रसोई से आती हुई दाल की खुशबू,

आंगन में फैली हुई खटाई,

बरामदे में फैली हुई चटाई,

पिता का घर में आना, 

दूध, सब्जी और साथ में मिठाई लाना,

आते ही होती थी सबकी हाजरी,

गायबों की होती थी धुलाई, 

फिर आता था,

फटकारों का मौसम,

क्यों नहीं खाने में बनाया सहजन,

कल तक हो जाएगा खराब,

क्या जानों पैसे का कद्र,

आठ घंटे की ड्यूटी, 

दो घंटे आना-जाना,

घर आते ही रोज के नये लफड़े सुलझाना,

किसी खरोच, तो किसी को बुखार,

अभी-अभी गयी है ठंढ़

बड़े प्यार सेओढ़ा देते थे चादर,

न लग जाये किसी को सर्दी,

बंद रहता था, 

मां के कान के साथ ही जुवान,

मौका मिलते ही,

सुलझाने बैठ जाती थी,

ऊन की उलझने,

खोल देती थी हर गांठ 

और सुलझा देती थी, 

हर उलझन.

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

अधेड़ औरतें क्यों भागती हैं घर से

कई बार ऐसा होता है,

घर छोड़कर भाग जाती हैं.

अधेड़ औरतें,

कभी अकेली ही,

तो कभी सहारे के लिए किसी के साथ,

इसलिए नहीं कि

उन्हें  डराती हैं जिम्मेदारियां,

उन्हें डराते हैं लोग,

और ले जाते हैं इस हद तक, 

कि तिनका-तिनका जोड़ा घर ही,

उन्हें बेगाना लगने लगता है,

बेगानी वस्ती से ज्यादा,

वो घर जिसे बार-बार,

उसे अपना बताया जाता है.

 

जन्म लेने से मरने तक, 

जो कभी उसका होता ही नहीं,

सास बनने तक सास का शासन,

बहू के आने से पहले ही,

घर झिन जाने का डर,

उसे हर पल सताता है,

जिस घर को उसे बार-बार,

उसका अपना बताया जाता है.


इतना तो वह सह जाती है,

पर जब गांठ बांधकर,

हाथ थाम कर लाने वाला ही,

कब पराया हो जाता है,

गांठ खोलकर आलमारी में रख देता है,

और हाथ पकड़कर,

किसी और का हो लेता है,

तब अधेड़ औरत,

बेगानों को छोड़कर,

बेगानी वस्ती को ओर निकल जाती है.

शनिवार, 22 जुलाई 2023

चांद मामू क्या कीमत है उनकी?

चांद मामू,

उन्हें कोई नहीं पूछता,

न तीज में, न त्योहार में,

न शादी में, न सगाई में,

न उठावनी में, न संसकार में,

वो कभी चर्चाओं में भी नहीं होते,

न अपनों में, न परायों में,

उन्हें अपनी उम्र की गिनती नहीं आती,

और न ही उन्हें पता है रिश्तों का व्याकरण,

वो आज भी वहीं ठहर गए हैं,

अपनी मां की गोद से उतरकर,

अपनी मातृभाषा सीखने से पहले,

उनके लिए कोई उपहार नहीं लाता,

और न ही उनके लिए टॉफी ले जाता है,

उन्हें किसी का इंतजार भी नहीं है, 

उनमें न तो रोशनी है,

न शीतलता है,

न वो गाय हैं, न बकरी

न वो किसी आहार बन सकते हैं,

न ही उनकी खाल से किसी के जुते,

क्या कीमत है उनकी?

कनहोज में पड़े बेजुवान जानवर से भी कम!










चांद मामू,

उन्हें कोई नहीं पूछता,

न तीज में, न त्योहार में,

न शादी में, न सगाई में,

न उठावनी में, न संसकार में,

वो कभी चर्चाओं में भी नहीं होते,

न अपनों में, न परायों में,

उन्हें अपनी उम्र की गिनती नहीं आती,

और न ही उन्हें पता है रिश्तों का व्याकरण,

वो आज भी वहीं ठहर गए हैं,

अपनी मां की गोद से उतरकर,

अपनी मातृभाषा सीखने से पहले,

उनके लिए कोई उपहार नहीं लाता,

और न ही उनके लिए टॉफी ले जाता है,

उन्हें किसी का इंतजार भी नहीं है, 

उनमें न तो रोशनी है,

न शीतलता है,

न वो गाय हैं, न बकरी

न वो किसी आहार बन सकते हैं,

न ही उनकी खाल से किसी के जुते,

क्या कीमत है उनकी?

कनहोज में पड़े बेजुवान जानवर से भी कम!










शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

संबंध

 अपनी ही रचनाओं का अर्थ वर्षों बाद समझ में आता है. ये कविता मैंने 1993 में लिखी थी...



संबंध


संबध कोई वृक्ष का पत्ता तो नहीं, 

जो बसंत में लगे,

और पतझड़ में बिखर जाय।

संबंध तो पंचवटी वृक्ष है,

जो एक साथ ही,

पल्लवित, पुष्पित और फलित होता है,

या परिन्दे द्वारा लाये गये बीज से,

या सानिध्य के अहसास से जुड़ गया हो,

पत्ते का वृक्ष से लगना,

और झड़ जाना,

उसकी गति है,

उसकी नियति है,

मगर संबंध कोई वृक्ष का पत्ता तो नहीं है,

जो बसंत में लगे, 

और पतझड़ में बिखर जाय।

माना निर्जीव-सा जुडे रहने के दुख से, 

कट जाने का दुख कम है,

मगर संबंध कोई,

वृक्ष का पत्ता तो नहीं,

जो बसंत में लगे, 

और पतझड़ में बिखर जाय।





शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

ओह!



जब हम सुबह अखबार देखते हैं ....तो कुछ खबरों को पढ़ कर बड़ा अफसोस होता है...दुख होता है...कहते हैं  ओह! 

आज एक खबर...हर अखबार की सुर्खियां बनी है...अतिक अहमद का बेटा असद अहमद का जो हश्र हुआ...उससे हर मां-बाप को सबक लेना चाहिए...असद एक कुम्हार की कच्ची मिट्टी की तरह था...वकिल बनाना चाहता था...पढ़ने में तेज था...प्रयागराज के एक प्रतिष्ठित स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई भी की...आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चला गया...वह विदेश जाकर लॉ की पढ़ाई करना चाहता था...लंदन के कई कॉलेजों में अप्लाई भी किया...पर अपराधिक परिवार की वजह से उसका पासपोर्ट ही नहीं बन सका...उसे 11 साल की उम्र से ही बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी...उसका परिवेश...उसके अपने मां-बाप के कर्मों ने ही उसकी जिन्दगी छिन ली...काश वह एक संस्कारी मां-बाप का औलाद होता...ऐसी खबरों  पर दुख व्यक्त करने की बजाए... हमें सबक लेने चाहिए...

अनिता कर्ण