गुरुवार, 14 मई 2009

रायसिना हिल्स की दौड़

15वीं लोकसभा चुनाव के आखिरी दौर के मतदान खत्म होते ही सियासी चौसर बिछ गया है। शुरू हो गया है जोड़-घटाव,गुना-भाग का गणित। न्यूज चैनलों के एक्जिट पोल के परिणाम लगभग एक से हैं, लेकिन कांग्रेस-बीजेपी के एक्जिट पोल में उनकी पार्टियों को बढ़त दिखाई गई है। जो भी हो इसी एक्जिट पोल और अपनी-अपनी पार्टीयों के समीकरण के सहारे सियासी चालें शुरू हो गई हैं। जनता से किए गए वादे, चुनाव के दौरान विरोधी पार्टियों के उलटे-सीधे बयान, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और छींटाकशी सबको नजरअंदाज करके कबीर बनने की कोशिश जारी है। आखिर हर कोई 272 के आंकड़े के नूर का दीदार करना चाहता है।
स्वभाविक है कि 272 के इस आंकड़े को पार करने के लिए देश के चारों गठबंधन बेक़रार हैं। कांग्रेस प्रमुख यूपीए पार्टी है जिसे एक्जिट पोल में भी बढ़त पाते बताया गया है । उसकी पहुंच भी आसान नहीं। अकेले कांग्रेस के बूते की तो बात ही नहीं। और अगर यूपीए का गणित देखा जाए तो उससे अलग हुई लेफ्ट (30-40) साथ देती है, तो ममता बनर्जी की टीएमसी (12-15) छिटक जाएगी। लगभग यही हाल बसपा-सपा का है। कांग्रेस को माया का साथ मिलना आसान नहीं, और मिला तो देवी का चमत्कार ही होगा। कांग्रेस से सपा की नाराजगी भी छिपी नहीं है। कथित चौथा मोर्चा बाहें फैलाये इनका (एसपी 23) इंतजार कर रहा है। हांलाकि एक्जिट पोल के नतीजे के मुताबिक चौथा मोर्चा (महज 38 सीटें) बिसात पर बेहद कमजोर है। लालू-पासवान-मुलायम का गठजोड़ किस पाले में गिरेगा इसका अंदाज लगना भी आसान नहीं। रामविलास पासवान का इतिहास कबीर का साक्षी रहा है। गुलाम नबी आज़ाद की मशक्कत के बाद अगर जयललिता (एआईएडीएम के 20-25 सीटें) जुड़े तो डीएमके (8-10)का साथ छूट जाएगा। किसी भी हालत में ये दोनों एक खेमे में नहीं रह सकते। यानी जयललिता मिलीं तो डीएमके की 8-10 सीटें यूपीए के हाथों से निकल जाएंगी। सोनिया से कुमारस्वामी के मिलने के बाद जेडीएस से उम्मीद तो बनी है, पर उनका साथ गोवर्धन में लाठी का सहारा होगा। ऐसे में यूपीए के लिए ‘रायसिना-हिल्स’ को 272 की सूची थमाना न तो आसान होगा और न ही मनमोहन सिंह के लिए दोबारा पीएम की कुर्सी तक पहुंचना। बमुश्किल यूपीए गठबंधन (एक्जिट पोल में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को 191 सीटें मिलने की उम्मीद) 200 का आंकड़ा ही पार कर पाएगा।
इन सब जोड़-घटाव के बाद और पिछले चुनाव के एक्जिट पोल के उलटे परिणाम (जिसमें एनडीए की बढ़त बताई गई थी) को देखते हुए यह अनुमान लगाना भी मुश्किल नहीं है कि 15वीं लोकसाभा चुनाव में एनडीए की बढ़त होगी। हांलाकि बीजेपी के लिए अकेले सरकार बनाना भी बूते की बात नहीं। एक्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी नीत गठबंधन एनडीए को 191 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है और अकेले बीजेपी को 145-53 मिलने की उम्मीद है। (हांलाकि बीजेपी ने अपने एक्जिट पोल में 166 सीटें आने की उम्मीद जताई है) ऐसे में एनडीए सहयोगी दल, माया, जया, बीजेडी (सात) और निर्दलिय पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाता भी है तो कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगा। और ये आंकड़ा भी यूपीए से थोड़ा ही फासले का रहेगा। जहां तक तीसरे मोर्च के गणित और व्याकरण का सवाल है दोनों गठबंधनों के सामने कमजोर साबित हो रहा है।
रही बात रायसिना हिल्स जल्दी पहुंच की, तो दोनों गठबंधन ने अपनी कोशिशें और तेज़ कर दी हैं। ख़रीद-फ़रोख़्त का बाज़ार गर्म हो गया है। ऐसे में दोनों में कोई भी गठबंधन सरकार बनाती है तो कोई ठगा महसूस करेगा तो वो जनता होगी जिसने तपती धूप में मतदान केन्द्रों की क़तार में खड़े होकर अपना खून जलाया ।

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